शनि देव को शांत करने की जाप और मंत्र विधि ? (shani dev jaap mantra in hindi)
नमस्कार मित्रों आपका इस लेख में स्वागत है आज हम जानने वाले हैं कि शनिदेव को शांत करने हेतु जाप कैसे करें और उनके मंत्र कौन कौन से है?
पुराणों में भगवान शनि की अनेकों कथाएं मौजूद हैं ब्रह्मपुराण में इस बात की पुष्टि मिलती है कि इनके पिता भगवान सूर्य ने इनका विवाह चित्ररथ कि कन्या से करा दिया जो कि बहुत तेजस्वी और अत्यधिक स्वरूपवान थी। एक रात यह पुत्र प्राप्ति हेतु भगवान शनि के समक्ष जाती है उस समय भगवान शनि श्री हरी के ध्यान में मग्न थे । पत्नी प्रतीक्षा करके थक गई और प्रात:काल का समय हो गया।
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यह देख पत्नी अत्यंत क्रौधित होकर इन्हें श्राप देती है कि जब भी तुम्हारी दृष्टि किसी पर पढ़ेगी उसका सर्वनाश हो जाएगा वह हर तरह से बर्बाद हो जाएगा । कुछ समय पश्चात पत्नी को अपनी भूल का पश्चाताप हुआ लेकिन इस श्राप का प्रतिकार करने की क्षमता उसमे नहीं थी इसीलिए भगवान शनि अपना सिर नीचा रखने लगे क्योंकि वे यह बिल्कुल नहीं चाहते है कि उनकी दृष्टि मात्र से कोई बर्बाद हो जाए।
भगवान शनि की दृष्टि भगवान शिव पर पड़ी तो उन्हें बैल बनकर जंगल में भटकना पड़ा और रावण पर पड़ी तो उन्हें भी असहाय होकर मरना पड़ा। भगवान शनि की जिस पर भी क्रुर दृष्टि पड़ी उसका तो बंटा ढाल हो गया। इनकी दृष्टि से सिर्फ महाबली हनुमान ही बच सकते हैं जिन पर इनकी दृष्टि का कोई असर नहीं होता और इनकी दृष्टि से भगवान हनुमान अपने भक्तों को भी बचा लेते हैं।
भगवान शनि को इस प्रकार के व्यक्ति पसंद नहीं :(shani dev ko kya pasand nahi hai)
निर्दोष लोगों को परेशान करने वाले, झूठी गवाही देने वाले, अप्राकृतिक रूप से संभोग करने वाले, परस्त्री गमन करने वाले, ब्याज खोरी करने वाले, शराब पीने वाले, जुआ सट्टा खेलने वाले, किसी के पीठ पीछे उसे बर्बाद करने की कोशिश करना, अपने से बड़े का अपमान करना, श्री हरी के खिलाफ होना, दांत साफ न करना, भैंस या भैंसों को मारना पीटना, कुत्ते और कौवों को परेशान करना आदि।
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शनि देव का जाप मंत्र :(shani dev mantra in hindi)
(1) शनिदेव का तांत्रिक मंत्र : ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनये नमः
(2) शनिदेव महाराज का वैदिक मंत्र : ऊँ शन्नो देवीरभिष्टडआपो भवन्तुपीतये।
(3) शनि देव का एकाक्षरी मंत्र – ऊँ शं शनैश्चाराय नमः।
(4) शनि देव जी का गायत्री मंत्र – ऊँ भगभवाय विद्महैं मृत्युरुपाय धीमहि तन्नो शनिः प्रचोद्यात्।
न्याय के देव भगवान शनि को प्रसन्न करने के लिए उनके मंत्रों का जाप अत्यधिक प्रभावशाली माना गया है शनि की साढ़ेसाती, ढैया इन सभी में भगवान शनि के मंत्र का जाप अत्यंत लाभदायक है।
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शनि मंत्र का जाप कैसे किया जाता है? (shani jaap vidhi)
शनिवार के दिन प्रात:काल स्नान आदि करने के पश्चात एक आसन पर बैठ जाना है ।
अपने सामने भगवान शनि की मूर्ति या तस्वीर रखें और नीले फूल चढ़ाएं।
शनिदेव से परेशानियां कम करने की प्रार्थना करें।
शनि का जाप कितना होता है ?
मित्रों ऊपर दिए हुए 4 मंत्रों में से किसी एक मंत्र का जाप आपको करना है कम से कम पांच माला का जाप जरूर करें।
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शनिदेव को कैसे प्रसन्न करें ? (shani dev ko kaise khush kare)
कुछ ऐसे उपाय है जिसे करने पर हम शनिदेव के प्रकोप से बच भी सकते है और उन्हें प्रसन्न भी कर सकते है जिन उपायों के बारे में हम आगे बात करेंगे।
1. रोज सुबह प्रात काल में स्नान के पश्चात हनुमान चालीसा का पाठ अवश्य करें। हनुमान चालीसा का पाठ करने वाले व्यक्ति के जीवन में कभी शनिदेव का प्रकोप नहीं होता है ज्योतिषों के अनुसार यह सबसे सरल और प्रभावशाली उपाय माना गया है।
2. शुक्रवार के रात को काला चना पानी में भिगो दें और शनिवार के दिन भीगा काला चना, जला हुआ कोयला, हल्दी और लोहे का एक टुकड़ा ले लें और काले कपड़े में इसे बांध दें और उस पोटली को आप तालाब में फेंक दें और इस बात का अवश्य ध्यान रखें कि उस तालाब में मछलियां होना आवश्यक है ऐसा हर शनिवार को करने से शनि का प्रभाव कम होगा और उनकी कृपा आप पर बनेगी।
3. शनिवार के दिन पीपल के पेड़ के चारो ओर सात बार कच्चा सूत लपेटें ऐसा करने से शनिदेव कि क्रुर दृष्टि से छुटकारा मिलता है और शनिदेव प्रसन्न होते हैं।
4. शनिवार को शनिदेव कि पूजा जरूर करें। शनि के बीज मंत्र का आपको 1 माला जाप करना चाहिए (और भी कर सकते हैं आपके इच्छा अनुसार) मंत्र कुछ इस प्रकार है : ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः। शनिवार को शनि चालीसा भी पढ़ सकते है शनि यज्ञ भी करवा सकते हैं ऐसा करने से आपको अत्यंत लाभ प्राप्त होगा।
5.मित्रों सिद्ध शनि यंत्र को अपने मंदिर में अवश्य रखें और उसकी रोज पूजा करें इसके अत्यंत लाभदायक फायदे हैं इसे अपने मंदिर में रखने और पूजा करने से आपके घर में धन-धान्य की वृद्धि होगी, शनिदेव के प्रकोप से छुटकारा मिलेगा, मान-सम्मान की वृद्धि होगी, सभी प्रकार की बीमारियों से छुटकारा प्राप्त होगा, व्यापार में सफलता की प्राप्ति होगी मित्रों सिद्ध शनि यंत्र की पूजा करने से आपको ऐसे ही अत्यंत लाभकारी फायदे देखने को मिलेंगे।
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6. मित्रों सिद्ध नीलम की अंगूठी दाएं हाथ के मध्यम उंगली में पहनने से शनि के प्रकोप से अत्यधिक लाभ प्राप्त होता है क्योंकि यह शनि का रत्न है इसीलिए यह शनि के प्रभावों को अत्यधिक कम करता है।
नीलम को धारण करने के अत्यंत लाभकारी फायदे : (neelam dharan karne ke fayde)
नीलम से व्यापार वृद्धि होती है और भाग्य में वृद्धि होती है, धन आने के अनेकों मार्ग उत्पन्न होंगे, कार्यक्षेत्र में उन्नति होगी जिससे मान प्रतिष्ठा भी बढ़ेगी, धैर्य बढ़ेगा, बौद्धिकता, तार्किकता एंव संस्कारों में वृद्धि होती है, स्त्री या पुरुष जो डिप्रेशन में हैं उन्हें नीलम रत्न अवश्य धारण करना चाहिए क्योंकि इसे धारण करने से वह तनाव से मुक्त हो जाएंगे और सकारात्मक जीवन प्राप्त करेंगे, मित्रों अगर आप दांत रोग, लकवा, हड्डियों में दर्द और दमा रोग जैसी बीमारी से परेशान हैं तो आपको इसे अवश्य धारण करना चाहिए यह इन बीमारियों को दूर करने में सक्षम है, अगर आपको कमर दर्द, सिर दर्द व कैंसर आदि जैसे रोग हैं तो इसे धारण करने से लाभ प्राप्त होगा, अगर आपको रात को भय लगता है घबराहट बनी रहती है तो ऐसी परिस्थिति में नीलम को अवश्य धारण करना चाहिए इससे भय दूर होता है। इस प्रकार मित्रों इसे धारण करने के अनेकों फायदे हैं।
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6. हर शनिवार को लाल कपडे पहनकर हनुमान जी के सामने आएं।
7. रोजाना पश्चिम दिशा की और दीपक को जलाकर शनिदेव के मंत्र का जाप करें।
8. घर के छोटे लोगों और अपने सहायकों से प्यार से बात करें ।
9. नीले रंग की चीजों का ज्यादा से ज्यादा उपयोग करें ।
10. हमेशा सच बोलें, ईमानदार रहें और अपने बुजुर्गों का सम्मान करें और उनकी सेवा करें।
11. घोड़े की नाल का छल्ला शनिवार के दिन अपने मध्यम उंगली में धारण करें इससे आपको अधिक लाभ प्राप्त होगा।
12. प्रातकाल के पहले पीपल की पूजा करनी चाहिए इससे शनिदेव खुश होते है । पीपल के पेड़ पर तेल में लोहे कि कील डालकर चढ़ाना चाहिए।
13. सोमवार से शनिवार तक रविवार को छोड़कर लगातार 43 दिन तक शनिदेव की मूर्ति पर तेल चढ़ाने से शनिदेव का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
14. शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए शनिवार को उपवास और दान जरूर करें और काली गाय को उड़द तेल या तिल खिलाने से शनिदेव बहुत प्रसन्न होते है।
15. पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाने और उसकी परिक्रमा करने से शनिदेव का आशीर्वाद मिलता है।
16. रोजाना पूजा करते समय महामृत्युंजय मंत्र ओम नमः शिवाय का जाप करें इससे शनि के दुष्प्रभावों से छुटकारा मिलता है।
17. दिन के दोनों समय काले नमक और काली मिर्च का प्रयोग करें।
18. घर में कोई ऐसी जगह जहां पर अंधेरा हो तो वहां पर एक कटोरी में सरसों का तेल डालकर उसके अंदर ताबें का सिक्का डुबों कर रखें|
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शनि की महादशा में क्या करें ? (shani ki mahadasha ke saral upay)
शनि देव को सरसों का तेल चढ़ाने की सभी परेशानियां दूर होती है सभी विपत्तियों में विजय की प्राप्ति होती है शनिदेव व्यक्तियों के कर्मों के अनुसार ही उन्हें फल देते हैं शनिदेव न्याय के देवता हैं इसीलिए वह सभी के साथ न्याय करते हैं। शनिदेव की महादशा 19 साल की होती है।
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